आइये तन्हि के मरे हुए लोगो , हम करेंगे आपका अकेलापन दूर और देंगे आपके लफ्जों को आवाज – हम लेकर आये है आपकी तन्हाई के लिए भेतरीन गजल हिंदी में , तन्हाई का दर्द अक्सर दिल को और गहरा बना देता है, और इसी एहसास को शब्द देते हैं रोमांटिक तन्हाई शायरी गजल। यहाँ आपको मिलेगी दर्द ए-तन्हाई गजल, अकेले तन्हा गजल हिंदी, और मैं और मेरी तन्हाई गजल शायरी का अनोखा संग्रह। अगर आप दिल के जज़्बात बयां करना चाहते हैं, तो यह Tanhai Gazal in Hindi और रोमांटिक तन्हाई गजल आपके लिए ही है। साथ ही, यहाँ पढ़ें अकेलापन शायरी 2 Line गजल, akelapan gazal in hindi, और उन लम्हों की दास्तान जो हर किसी को छू जाएँगी। यह सब आपको सिर्फ kHUDKIKALAM पर मिलेगा।
~~【{◆◆मेरा तो◆◆}】~~
ज़रा पूछ तो लेती इन हवाओं से,
ये वाकिफ़ कर देती तुझे मेरी वफाओं से.
क्यों हरपल एक दूजे से तल्खी है,
क्यों डर नही है कुदरत की सजाओं से।
ये छोटे मोटे झगड़े दिल दुखाते हैं,
दिल के निशान ना मिटते महंगी दवाओं से।
शक के पँछी खुशियां नोच डालते,
बच के रहना ही ठीक है इन बलाओं से।
हम तो हरपल तेरी खैरियत माँगते हैं,
मेरा तो दिन शुरू अमन तेरे लिए दुआओं से।
~~【{◆◆अलग ही◆◆}】~~
मेरा दिल मेरी आवाज,
अलग ही रखते हैं अंदाज़,
बेफिक्र ही लिखते हैं,
सामने रखकर समाज.
सियासत के पर्दे खोलता हूँ,
बेधड़क ही सच बोलता हूँ,
मैं ना किसी मजहब का पँछी,
प्यार का करता हूँ आगाज़.
चाहत के बोल भी जानता हूँ,
सच्ची चाहत पहचानता हूँ,
दर्द भी समझ लेता हूँ दिल के,
हमसे क्या छुपे कोई राज.
गरीबों के हक़ भी लिखता हूँ,
इन पैसों में ना बिकता हूँ,
अपना ना कोई लालच अमन,
क्यों रखना कोई सर पे ताज।
~~【{◆◆कौन जाने◆◆}】~~
दिल से दिल अब लगाता कौन है,
रूठी मोहब्बत को मनाता कौन है.
हर कोई जी रहा अपनी अकड़ में,
सादगी से सनम समझाता कौन है.
कौन जाने कौन किस दर्द में डूबा है,
दर्द बांटने को हाथ बढ़ाता कौन है।
सब लगे हैं ऊपरी दिखावे में यहाँ पे,
सच्ची चाहत मन में सजाता कौन है।
बातें तो मीठी सारी दुनिया ही करती,
पर जिंदगी को मीठा बनाता कौन है।
जो खुद फसा हो कांटों के सफर में,
उसपर फूल अमन बरसाता कौन है।
~~【{◆◆शराफ़त से◆◆}】~~
दिल की दहलीज पर अक्सर बेवफ़ा आते हैं,
धीरे धीरे वही दिल को दर्द से भर जाते हैं.
ये पल दो पल के मेहमान फिरते हैं चारों ओर,
जब चाहे किसीकी जिंदगी जहनुम बनाते हैं।
खेलें ऐसे खेल हर कोई बहक जाए जिसमें,
ऐसी जादूगरी की कलाकारीयां ये दिखाते हैं।
मन मोह लेते हैं मासूम सी बातें करके अक्सर,
बड़ी रसभरी धुन चाहत की कान में बजाते हैं।
क्या किसी की पहचान करें शरीफ़ लोग अमन,
शराफ़त वाले भी तो शराफ़त से आग लगाते हैं।
~~【{◆◆कारवाई◆◆}】~~
मोहब्बत किसने दिल से निभाई है,
हर तरफ़ बेईमानी की खाई है.
नए दौर की हवा ने बदलदी फ़ितरत,
बिखरे दिल की कहाँ सुनवाई है।
आँखों को निहारते पकड़ लेते जिस्म,
इश्क़ज़ादों की अच्छी कमाई है।
कहीं कसमें कहीं वादे क्या बताएं,
हर दिल हर जहन यही कारवाई है।
मत उलझ अमन इस दिल के खेल में,
साथ कम अब ज्यादा जगहंसाई है।
~~【{◆◆कब कोई◆◆}】~~
नाजाने कब कोई बहार आएगी,
इश्क़ की राह पर मुझको ले जाएगी.
हम भी बैठे हैं जवानी का तोहफा लिए,
कब कोई कली जोबन से पर्दा उठाएगी।
मन के ख्याल हो रहे हैं रंगीन बहुत यार,
चाँदनी रात और कितनी शरारत दिखाएगी।
दिल मतवाला हुए जा रहा है बेवजह ही,
किस्मत कब उस चाहत की तस्वीर बनाएगी।
अब तो रूठ कर बैठ जाते हैं कहीं कोने में,
कोई मीठी आवाज़ क्या जानें कब मनाएगी।
और कितने दिन अकेला ही रहूँ मैं अमन,
ये मोहब्बत कब मेरे आँगन शहनाई बजाएगी।
~~【{◆◆अपना भी◆◆}】~~
गहरे मन का दीदार हुआ है,
लगता है उसको मुझसे प्यार हुआ है.
खोई रहती है वो मेरे प्यार में,
शायद हद से ज्यादा ऐतबार हुआ है।
उसकी नशीली आँखे कुछ ऐसे देखें,
जैसे मेरे संग ही जन्मों का करार हुआ है।
अक्सर करती रहती है मेरी ही बात,
कुछ पल का मिलन बड़ा असरदार हुआ है।
पर कहती नही अपने दिल का हाल,
एक ये भी सच की उसे मेरा खुमार हुआ है।
कोई पहल तो करे वो इजहारे दिल की,
अपना भी दिल अमन मुश्किल से तैयार हुआ है।
~~【{◆◆मत कर◆◆}】~~
क्या कहानी है नसीबों की,
जिंदगी बड़ी बद्तर है गरीबों की.
काँच के टुकड़ों पे रोज चलते,
कौन समझे दर्द इन बदनसीबों की।
गंदे कपड़े देख नाक बंद करलेते,
इतनी सी हैसियत खुशनसीबों की।
अपनी भलाई के लिए दुजे का बुरा,
यही हक़ीक़त है यहाँ महंगे ताबीजों की।
किसी का मजाक उड़ाना सुकून देता,
मत कर बात अमन मेरे आगे तहजीबों की।
~~【{◆◆छोटी सी बात◆◆}】~~
जो गुजर गए थे कभी पास से,
आज बात करते हैं मेरी राख से.
गिरा रहे हैं अब आंसू मुझे कोसते हुए,
कभी मुँह फेर लेते थे छोटी सी बात से।
सीने से लगा चल रहे मेरी अस्थियों को,
मुकर गए थे कभी दो पल के साथ से।
खाकर कसमें जन्मों जन्म तक की,
तन्हा बैठे सनम जलाकर मुझको हाथ से।
कौन पता कौन कब बदल जाये यहाँ,
रौशनी अक्सर बेवफ़ाई कर जाती रात से।
सांसों ने किनारा करलिया तो करलिया,
टूटे पत्त्ते अमन फिर नही मिलते शाख से।
~~【{◆◆सब के सब}】~~
क्या कुदरत की सियाही है,
बंदा ही बंदे की तबाही है,
सब के सब चोर बन रहे,
कोई ना बचा सिपाही है।
इंसानियत का घड़ा टूट रहा,
धीरे धीरे ज़हर है छूट रहा,
कौन जाने उस रब की राह,
धर्म में धर्म की मनाही है।
सबको बनना राजा है,
चाहे कोई नर चाहे मादा है,
कैसी सियासत की भूख है ये,
झूठी बातों की कड़ाही है।
एक दूजे से सब जलते हैं,
नाजाने किस आग में पलते हैं,
कौन बढ़ाए यहाँ हाथ अमन,
आदत सबकी बेपरवाही है।
निष्कर्ष :
आपको हमारी ये तनै गजल पढ़कर अच्छा लगा है तो इस पेज को साँझा करे और अधिक हिंदी गजल जैसे – जुदाई की ग़ज़ल, मोहब्बत का दर्द ग़ज़ल इत्यादि पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहे तन्हाई और अकेलापन हर किसी की ज़िंदगी का हिस्सा है, और इन्हें शब्दों में ढालने का सबसे सुंदर तरीका है ग़ज़ल और शायरी। चाहे आप रोमांटिक तन्हाई गजल ढूँढ रहे हों या दर्द ए-तन्हाई गजल, आपको हर अहसास का अनमोल खजाना kHUDKIKALAM पर मिलेगा।
FAQS :
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ये रही बेहतरीन तन्हाई गजल –